कलरव कक्षा 3 के पाठ 1 प्राथना का सबसे सरलतम भावार्थ,आठ में आये कठिन शब्दों का निवारण
प्रार्थना - देश की माटी देश का जल - पाठ 1 हिंदी कलरव कक्षा 3 के शब्दार्थ व सरलतम भावार्थ
PRAYER - Desh Ki Maati Desh ka Jal - Lesson 1 Hindi Tweet Class 3 Semantics & Simplest Meaning
पाठ 1 प्रार्थना - देश की माटी देश का जल

देश की माटी देश का जल
हवा देश की देश का फल
सरस बने प्रभु सरस बने
देश के घर और देश के घाट
देश के वन और देश के बाट
सरल बने प्रभु सरल बने
देश के तन और देश के मन
देश के घर के भाई-बहन
विमल बनें प्रभु विमल बनें
- रवीन्द्र नाथ टैगोर
पाठ में कठिन शब्दों का सरलतम अर्थ (शब्दार्थ) :
- माटी - मिटटी,मृतिका, पृथ्वी
- देश - राष्ट्र,
- प्रभु- भगवान, ईश्वर
- घाट - नदी,सरोवर,अथवा तालाब का किनारा जहाँ पर लोग पानी भरते,नहाते धोते हैं तथा अपनी नावों को चढाते-उतारते हैं
- बाट- मार्ग अथवा रास्ता,
- विमल - स्वच्छ,निर्मल,दोष से रहित
- सरल- सहज,सच्चा,
- तन- शरीर,देह,काया,
- घर - वह स्थान जहाँ पर कोई व्यक्ति निवास करता है
कविता का सन्दर्भ सहित भावार्थ :
देश की माटी---------------------------------------------------------------------प्रभु सरस बनें
सं दर्भ : प्रस्तुत कविता हमारे पाठ्य पुस्तक ,कलरव, के "प्रार्थना' नामक पाठ से की गयी है जिसके रचयिता गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर जी हैं प्रस्तुत कविता में देश के प्रति व देश के लोगों में आपसी एकता,सौहार्द करने, मन से पवित्र होने की ईश्वर से कामना की गयी है,
भावार्थ : गुरुदेव कहते हैं कि हे ईश्वर हमारे देश की मिटटी, जल,वायु,तथा हमारे देश की वनस्पति सभी मधुरता,सरसता,से परिपूर्ण हो जाएँ,हमारी आपसे यही कामना है,
देश के घर---------------------------------------------------------------------------प्रभु सरल बनें
संदर्भ : उपरोक्त सन्दर्भ का अवलोकन करें
भावार्थ : हे ईश्वर देश में स्थित सभी घर और घाट, देश के वनों के मार्ग सभी सरल हो जाएँ, हे प्रभु आपसे यही कामना है
देश के तन---------------------------------------------------------------------------प्रभु विमल बनें
संदर्भ : उपरोक्त सन्दर्भ का अवलोकन करें
भावार्थ : गुरुदेव कहते हैं हमारे देश में निवास करने वालों के तन,और मन सब साफ़ व स्वच्छ हों, सभी में भाईचारे का समान रूप से भाव संचरित हो,
हे ईश्वर आपसे हमारी यही कामना है,